दो हज़ार मन गेहूँ आया दस गाँवों के नामराधे चक्कर लगा काटने, सुबह हो गई शाम सौदा पटा बड़ी मुश्किल से, पिघले नेतारामपूजा पाकर साध गये चुप्पी हाकिम-हुक्काम भारत-सेवक जी […]
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आयेंगे // दुष्यंत कुमार
मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगेइस बूढ़े पीपल की छाया में सुस्ताने आएँगे हौले-हौले पाँव हिलाओ जल सोया है छेड़ो मतहम सब अपने-अपने दीपक यहीं सिराने आएँगे थोड़ी आँच […]
पुलिस अफ़सर // नागार्जुन
जिनके बूटों से कीलित है, भारत माँ की छातीजिनके दीपों में जलती है, तरुण आँत की बाती ताज़ा मुंडों से करते हैं, जो पिशाच का पूजनहै अस जिनके कानों को, […]
सत्य // नागार्जुन
सत्य को लकवा मार गया हैवह लंबे काठ की तरहपड़ा रहता है सारा दिन, सारी रातवह फटी–फटी आँखों सेटुकुर–टुकुर ताकता रहता है सारा दिन, सारी रातकोई भी सामने से आए–जाएसत्य […]
गाय और अम्मा // शिवम तोमर
जिस गाय को अम्माखिलाती रहीं रोटियाँऔर उसका माथा छू करमाँगती रहीं स्वर्ग में जगह अब घर के सामने आ कररंभियाती रहती हैअम्मा ने तो खटिया पकड़ ली है अब गाय […]
पाँच पूत भारतमाता के // बाबा नागार्जुन
पाँच पूत भारतमाता के, दुश्मन था खूंखारगोली खाकर एक मर गया, बाकी रह गये चार चार पूत भारतमाता के, चारों चतुर-प्रवीनदेश-निकाला मिला एक को, बाकी रह गये तीन तीन पूत […]
रावण अमर है। // वीरेंदर भाटिया
रावण नेअंतिम समयश्री राम से कहामैं देह नहीवृति हूंलालसा हूँलालच हूँहवस हूँमैंने अमर होने का वचन लिया थाअमर हूँदेह को मारतुम रावण के मर जाने की कल्पना मत करनाराम के […]
किताब-मय और किताबहीन // यतीश कुमार
कोई किताब-मय हैकोई किताबहीनकोई सोच-सोच कर परेशान हैतो कोई विचारहीन फिर सोचता हूँकि किताबें पेड़ से बनती हैंअलमारी भी पेड़ से ही बनता है बनने के इस क्रम मेंबस जंगल […]
ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं // कृष्ण बिहारी नूर
ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहींऔर क्या जुर्म है पता ही नहीं इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैंमेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं ज़िंदगी मौत तेरी मंज़िल हैदूसरा […]
एक बार जो ढल जाएंगे // अशोक वाजपेयी
एक बार जो ढल जाएंगेशायद ही फिर खिल पाएंगे। फूल शब्द या प्रेमपंख स्वप्न या यादजीवन से जब छूट गए तोफिर न वापस आएंगे।अभी बचाने या सहेजने का अवसर हैअभी […]