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पर हमने यह कैसा समाज रच डाला है…

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पर हमने यह कैसा समाज रच डाला हैइसमें जो दमक रहा, शर्तिया काला हैवह क़त्ल हो रहा, सरेआम चौराहे परनिर्दोष और सज्जन, जो भोला-भाला है किसने आख़िर ऐसा समाज रच […]